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दोस्तों आज के इस भाग दौर वाली जिंदगी मैं, इंसान एक जरुरत की चीज बन के रह गया है, ऐसा नहीं है की मैं ये पहली बार लिख रहा हु और आप सभी पहली बार पढ़ या सुन रहे है, लेकिन हर इंसान का कहने और समझने और समझाने का तरीका अलग अलग होता है , वैसे ही मेरा भी है, मेरी नजर मैं आज बिना मतलब या बिना जरुरत के कोई भी किसी इंसान को पूछने और इज्जत देने का सोचता भी नहीं है, आज हर तेज तरार आदमी एक दूसरे को निचे दबा के आगे बढ़ना चाहता है, जयादातर लोगो के अंदर की इंसानियत मर चुकी है, जहाँ तक मेरा सोचना है मुझे लगता है की किसी भी इंसान का आने वाला कल का भरोसा नहीं है तो क्यों ना जब तक जिन्दा है एक दूसरे के साथ प्यार मोहब्बत से रहे और एक दूसरे की ख़ुशी और दुःख को समझे और उसे सहारा दे. क्योकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और आज हालत ये है की कही आज कही समाज रह ही नहीं गया है, सब कुछ बाजार बन गया है…..
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